Bull Market meaning in Hindi

Bull Market meaning in Hindi बुल मार्केट क्या है और बाजार बुलिश हो तो क्या करना चाहिये। बुल मार्केट में निवेश करते समय किन बातों का खयाल रखना चाहिये और ऐसी मार्केट में निवेश करना कितना लाभदायक हो सकता है और बुल मार्केट में निवेश में कितना रिस्क हो सकता है। बुल मार्केट क्या है और यह बियर मार्केट से किस तरह अलग है यह सब सीखेंगे आसान हिंदी में। शेयर बाजार के अन्य सभी पहलुओं को जानने के लिये Share Market पढ़िये हमारी साइट पर। Bull Market meaning in Hindi and what should be the strategy of investment in share market in Bull Market.



Bull Market meaning in Hindi
Bull Market meaning in Hindi

Bull Market meaning in Hindi

Bull Market प्रतिभूतियों के एक समूह के वित्तीय बाजार की वह स्थिति है जिसमें कीमतें या तो बढ़ रहीं हैं या बढ़ने की उम्मीद है। बुल मार्केट शब्द का उपयोग अक्सर स्टॉक मार्केट के संदर्भ में लिए किया जाता है लेकिन बॉन्ड, रीयल इस्टेट, मुद्राओं और कमॉडिटी आदि के बाजार पर भी लागू किया जा सकता है। चूंकि प्रतिभूतियों की कीमतें ट्रेडिंग पीरियड के दौरान लगातार बढ़ती हैं और गिरती हैं, इसलिए Bull Market शब्द आम तौर पर विस्तारित अवधि के लिए किया जाता है जिसमें शेयरों के एक बड़े हिस्से की कीमतें बढ़ रहीं हों। बुल मार्केट महीनों या यहां तक कि वर्षों तक रह सकती है।



Bull Market meaning in Hindi – Psychology

जब निवेशक आशावादी हो, आत्मविश्वास में हो और उसे उम्मीद हो कि कंपनियों के नतीजे लगातार बेहतर ही आने वाले हैं तो बाजार में इस प्रकार का मनोवैज्ञानिक माहौल बनता है जो बाजार को और बढ़ाने में सहायक होता है। बाजार का मनोविज्ञान कब बदले इसका पहले से अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। Bull Market के उलट जब सब और निराशा हो ते उसे बियरिश या बेयर मार्केट कहते हैं। कब Bull Market खत्म होगा और कब बेयरिश मार्केट शुरू होगा यह पहले से कोई नहीं बता सकता। यह तभी पता चलता है जब यह हो चुका होता है। यहां पढ़ें बाजार की इन परिस्थितियों को बुल ओर बियर क्यों कहते हैं।

Bull Market is for Long Run लंबी अवधि में

बाजार का रुख हामेशा एक सा नहीं रहता। कभी बुलिश या कभी बेयरिश। मगर एक बात समझ लीजिये कि लॉंग टर्म में यानी लंबी अवधि में बाजार हमेशा बुलिश ही हो जाता है। इसी बुलिश काल में कभी कभी लंबे बियरिश काल आते है। लंबे बियरिश काल में छोटे छोटे बुलिश काल भी आते हैं। मगर आखिरकार बाजार बुलिश ही हो जाता है। सेंसेक्स यदि 100 से बढ़ कर 34000 पर पहुंचा तो इसका मतलब यही है कि लंबी अवधि में बाजार हमेशा बुलिश रहता है। इसीलिये कोई भी निवेशक लंबी अवधि के लिये इस बाजार में बहुत ही कम रिस्क के साथ निवेश कर सकता है। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।

Bull Market is Sign of Strong Economy मजबूती की पहचान

Bull Market आम तौर पर तब होती है जब अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही हो या पहले से ही मजबूत हो। मजबूत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और बेरोजगारी में गिरावट हो रही हो। अक्सर इसके साथ कॉर्पोरेट मुनाफे में वृद्धि बाजार के लिये संजीवनी का काम करती है। बुल मार्केट निवेशकों के विश्वास को मजबूत करती है जिसके कारण बाजार की तेजी को और बल मिलता है। ऐसे माहौल में कंपनियां अधिक से अधिक IPO ले कर आतीं हैं। बुल मार्केट में अधिक से अधिक लोग शेयरों को खरीदना चाहते हैं मगर कम ही लोग शेयरों को बेचना चाहते हैं। इससे शेयरों की मांग बढ़ती है जिसके कारण बाजार में तेजी के हालात रहते हैं।

प्रॉफिट बुक करते रहें

जहां Bull Market में एक्सपर्ट हमेशा शेयर खरीदने और होल्ड करने की सलाह देते हैं मगर निवेशकों को हमेशा कुछ अंतराल के बाद प्रॉफिट बुक करते रहना चाहिये और शेयर की कीमत का लक्ष्य प्राप्त होने पर उसे बेच देना चाहिये या कुछ प्रॉफिट बुक अवश्य करना चाहिये।

आगे पढ़ें शेयर खरीदने के लिये कंपनी कैसे चुनें


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