Global Recession वैश्विक मंदी क्या है और इसको कैसे पहचानते है? Global Recession वैश्विक मंदी की जानकारी, इसके लक्षण और इसकी परिभाषा आसान हिंदी में समझने की कोशिश करते हैं।
What Is a Global Recession? वैश्विक मंदी क्या है?
ऐसी मंदी जो दुनिया भर के कई देशों को प्रभावित करती है और जिसमें आर्थिक उत्पादन में गिरावट आती है उसे वैश्विक आर्थिक मंदी या Global Recession कहते हैं। वैश्विक मंदी में एक लंबे समय तक दुनिया भर में आर्थिक गिरावट देखी जाती है।
Global Recession meaning in Hindi
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार यदि प्रति व्यक्ति वास्तविक विश्व जीडीपी (क्रय शक्ति समता भारित) में गिरावट को कहते हैं जिसके साथ ही यदी सात अन्य वैश्विक वृहद आर्थिक संकेतकों औद्योगिक उत्पादन, व्यापार , पूंजी प्रवाह, तेल की खपत, बेरोजगारी दर, प्रति व्यक्ति निवेश और प्रति व्यक्ति खपत में से किसी एक या अधिक में भी गिरावट दिखाई दे तो उसे Global Recession कहते हैं। क्रय शक्ति समता यानी Purchasing power parity में अलग अलग देशों में वस्तुओं की क्रय शक्ति के अनुसार गणना की जाती है।
Understanding Global Recession वैश्विक मंदी को समझना
IMF यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की उपर दी गई परिभाषा के अनुसार जीडीपी में गिरावट के साथ साथ यदी अन्य आर्थिक संकेतक जैसे कि औद्योगिक उत्पादन, व्यापार , पूंजी प्रवाह, तेल की खपत, बेरोजगारी दर, प्रति व्यक्ति निवेश और प्रति व्यक्ति खपत भी मंदी का संकेत दें तो वैश्विक मंदी मानी जा सकती है। हालांकि IMF ने इसके लिए कोई अवधि निर्धारित नहीं की है पर लगातार दो तीन तिमाही तक चलने वाली मंदी को ही वास्तविक मंदी माना जा सकता है। 1970 के बाद 1975, 1982, 1991 और 2009 में आईं मंदी को वैश्विक मंदी माना जाता है।
Coronavirus recession कोरोना वायरस मंदी
2020 में कोरोना वायरस के कारण विश्व भर के देशों में हुए लॉकडाउन के कारण गंभीर वैश्विक मंदी का दौर शुरू हो चुका है। ना सिर्फ़ जी 7 देश अपितु कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण कई विकासशील देश भी कोरोना वायरस मंदी की चपेट में आ गए हैं। लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियाँ धीमी पड़ गईं, तेल की माँग बहुत तेज़ी से गिर गई जिसके कारण क्रूड की क़ीमतें धड़ाम से नीचे गिरने लगीं। बेरोज़गारी बढ़ गई और वस्तुओं की माँग में बेतहाशा कमी आई।
Coronavirus recession कोरोना वायरस मंदी का असर
कोरोना वायरस ने लोगों के पैसा खर्च करने के तरीकों पर भी असर किया है। लॉकडाउन के आदेश के कारण स्पष्ट रूप से कई प्रकार के व्यवसाय प्रभावित हुए हैं। विशेष रूप से खुदरा स्टोर, रेस्तरां और होटल, जिम, मनोरंजन स्थल, थियेटर, सौंदर्य सैलून और स्पा आदि व्यवसाय बहुत दबाव में है। ट्रेवेल और परिवहन पर भी इसका बुरा असर हुआ है। होटल, पर्यटन और एयरलाइंस उद्योग पर भी इसकी मार पड़ी है।
मंदी से बाहर आना
खुशी की बात है कि कोई भी वैश्विक मंदी हमेशा नहीं रहती। यह एक आर्थिक चक्र है जो चलता रहता है। मंदी के बाद तेज़ी आती है। ऐसे व्यवसाय जो नई परिस्थितियों में अपने को ढाल लेते हैं और नई माँग पैदा करने में सक्षम रहते हैं वही मंदी में भी अपने व्यवसाय को क़ायम रखने में सफल रहते हैं।
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