Portfolio पोर्टफोलियो क्या है इसका मतलब क्या है, इसकी संरचना कैसी होनी चाहिये? निवेश में यह शब्द बार बार प्रयोग किया जाता है मगर इसका मतलब क्या है, इसकी संरचना कैसे बेहतार बना सकते हैं आसान हिंदी में समझने की कोशिश करते हैं। साथ ही समझेंगे कि एक आदर्श पोर्टफोलियो की जानकारी, इसे कैसा होना चाहिये और कैसे उसे डाइवर्सिफाइ करके रिस्क को कम किया जा सकता है। यूं तो इस शब्द के विस्तृत अर्थ हैं जैसे कि एक फोटोग्राफर या मॉडल के फोटोज़ के ग्रुप को भी पोर्टफोलियो कहा जाता है मगर वित्त और निवेश में पोर्टफोलियो का हिंदी अर्थ क्या होता है इसे समझते हैं।
Portfolio Meaning In Hindi
पोर्टफोलियो के लिये कोई हिंदी शब्द नहीं सूझता मगर निवेश और वित्त के संदर्भ में इसे निवेश सुची कह सकते हैं। स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटीज, मुद्राओं और नकदी सहित वित्तीय संपत्तियों का ऐसा समूह जो किसी एक निवेशक से संबधित हो उसे पोर्टफोलियो कहते हैं। इसमें सार्वजनिक रूप से व्यापार योग्य प्रतिभूतियां भी शामिल हो सकती हैं, जैसे रियल एस्टेट, कला और निजी निवेश।
Portfolio कैसे बनता है
इसे सीधे निवेशकों या वित्तीय पेशेवरों और मनी प्रबंधकों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं। निवेशकों को अपने जोखिम सहनशीलता और उनके निवेश लक्ष्यों के अनुसार अपने पोर्टफोलियो का निर्माण करना चाहिए। निवेशकों के पास विभिन्न लक्ष्यों के लिए कई Portfolio भी हो सकते हैं। यह सब एक निवेशक के रूप में किसी के वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है।
पोर्टफ़ोलियो का उदाहरण
मान लीजिए कि मेरे निवेश की कुल वैल्यू ₹100 है। यदि यह ₹100 एक ही शेयर में निवेशित हैं तो इसे पोर्टफ़ोलियो नहीं कह सकते, मगर यदि इसे हम दो हिस्सों में बाँट कर दो कंपनियों के शेयरों में निवेशित कर देते हैं तो यह एक पोर्टफ़ोलियो बन जाएगा जिसमें मैं कह सकता हूँ कि मेरे पोर्टफ़ोलियो में दो शेयर हैं। इसे प्रतिशत या वास्तविक वैल्यू में बयान किया जा सकता है। यदि मैंने ₹40 कंपनी ए में और ₹60 कंपनी बी में निवेश किया है तो इनकी सूची मेरे निवेश का पोर्टफ़ोलियो होगा। इसी प्राकार शेयरों के अलावा यदि म्यूचुअल फंड, गोल्ड या प्रॉपर्टी में निवेश है तो इस सूची को पोर्टफ़ोलियो ही कहेंगे। कोई भी निवेश यदि कई मदों में विभाजित है तो उसे डाइवर्सिफाइड पोर्टफ़ोलियो कहते हैं।
Portfolio Structure in Hindi
एक निवेश Portfolio को एक संतरे के रूप में देखा जा सकता है जो कि अंदर से अलग-अलग टुकड़ों में बंटा होता है उसी प्रकार यह भी विभिन्न तरह के जोखिम-रिटर्न को पूरा करने के लिए विभिन्न संपत्ति वर्गों और / या निवेश के प्रकारों में बंटा होता है। इसे डाइवर्सिफाइड बनाने के लिए कई अलग-अलग प्रकार की प्रतिभूतियों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन स्टॉक, बॉन्ड और नकदी को आमतौर पर इसका मुख्य भाग माना जाता है। अन्य संभावित संपत्ति वर्गों में रियल एस्टेट, सोना और मुद्रा या अन्य कोई संपत्ती शामिल हो सकती है। यह जितनी अलग अलग प्रकार की संपत्तीयों में बंटा होगा उतना ही निवेशक का रिस्क कम होने की संभावना होगी।
Portfolio कैसा होना चाहिये
Portfolio कैसा होना चाहिये यह पूरी तरह से किसी भी निवेशक के रिस्क ले सकने की क्षमता पर निर्भर करता है। कम आयू के युवा निवेशक ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं तो उनके पोर्टफोलियो में आक्रामक निवेश का हिस्सा अधिक होगा। अधिक आयू के निवेशक जो कम रिस्क लेना चाहते हैं उनके Portfolio में रक्षात्मक निवेश का हिस्सा अधिक होगा। निवेशक की आयू और रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार इसकी संरचना भी बदल जाती है। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदेना चाहिये हमारी साइट पर।
रिस्क लेने की क्षमता
उदाहरण के लिए एक रक्षात्मक निवेशक लार्ज कैप वैल्यू स्टॉक, ब्लू चिप, FMCG, मार्केट इंडेक्स फंड, लिक्वड फंड या अधिक नकदी वाले Portfolio बना सकता है। इसके विपरीत, एक रिस्क उठाने वाला आक्रामक निवेशक कुछ स्मॉल कैप शेयरों, लार्ज कैप ग्रोथ स्टॉक अपने पोर्टफोलियो में जोड़ सकता है। साथ ही कुछ ऐसे शेयर जिनके मल्टीबैगर बनने की उम्मीद हो उन्हें चुना जा सकता है। आम तौर पर एक निवेशक को उन प्रतिभूतियों या संपत्ति वर्गों में निवेश कम करना चाहिए जिनकी कीमतों में अस्थिरता उसे असहज बनाती है।
निवेश का समय
जोखिम सहनशीलता के समान निवेशकों को यह भी समझना चाहिए कि Portfolio बनाने के बाद उन्हें कितने समय तक उसमें निवेशित रहना है। निवेशकों को आम तौर पर अपने लक्ष्यों के करीब पहुंचने पर पोर्टफोलियो को रक्षात्मक कर देना चाहिये जिससे इसमें अब तक की ग्रोथ को सुरक्षित रखा जा सके। उदाहरण के लिये यदि कोई निवेशक अपने रिटायर्मेंट पर एन्युटी खरीदने के लिये किसी पोर्टफोलियो में निवेश कर के रखता है तो रिटायर्मेंट के पांच साल पहले से उसमें स्मॉल कैप फंड कम कर सकता है और लार्ज कैप में निवेश को बढ़ा सकता है।
Portfolio में बदलाव
एक समझदार निवेशक को अपने पोर्टफोलिओ पर पैनी नज़र रखनी चाहिए और जहां आवश्यकता हो उसमें उचित बदलाव भी करते रहना चाहिए। यदि बाज़ार बहुत तेज़ हो जायें तो Portfolio में से धीरे धीरे इक्विटी का हिस्सा घटा देना चाहियें और जब बाजार बहुत मंदा हो जाये तो Portfolio में इक्विटी की हिस्सेदारी बढ़ा देनी चाहिए।
Types of Portfolio in Hindi एसेट लोकेशन के सिद्धांत
पोर्टफोलियो के एसेट एलोकेशन को निम्नलिखित निवेश दृष्टिकोणों और सिद्धांतों में से किसी एक का उपयोग करके प्रबंधित किया जा सकता है:
- Dividend weighting
- Equal weighting
- Capitalization-weighted
- Price-weighted Portfolio
- Risk parity
- The capital asset pricing model
- Arbitrage pricing theory
इनमें से कुछ सिद्दांतों को यहाँ समझने कि कोशिश करते हैं
Dividend weighting
कई निवेशक कई कारणों से अपने पोर्टफोलियो में लाभांश-भुगतान वाले शेयरों को शामिल करना पसंद करते हैं। यह शेयर निवेशकों को नियमित रूप से आय प्रदान करते हैं। दूसरे वे सुरक्षा की भावना प्रदान करते हैं। स्टॉक की कीमतें घटती बढ़ती रहतीं हैं इसलिए निवेशक यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके पोर्टफोलियो की आय में कुछ स्थिरता भी हो। अधिकतर कंपनियां जो लाभांश का भुगतान करती हैं उनका पहले से ही मुनाफे और डिविडेंड देने का एक स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड होता है।
Equal weighting Portfolio
इस तरह के पोर्टफोलिओ में सभी चुने गये शेयरों में बराबर का निवेश किया जाता है। इस तरह के पोर्टफोलिओ में बड़े शेयर स्थायित्व लाते हैं और छोटे शेयर ग्रोथ का कारण बनते हैं।
Capitalization-weighted Portfolio
इस तरह के पोर्टफोलिओ में शेयरों के मार्केट कैपिटल के अनुसार निवेश किया जाता है। इस तरह के पोर्टफोलिओ में निवेश का अधिक भाग बड़े शेयरों में ही होता है।
Price-weighted Portfolio
इस तरह के पोर्टफोलिओ में शेयरों की क़ीमतों के अनुसार निवेश किया जाता है।
Risk parity Portfolio
पोर्टफोलिओ निवेश के इस सिद्धांत में रिस्क को कम करने के लिए कुछ हिस्सा सुरक्षित निवेश के साधनों में लगाया जाता है। आमतौर में इस सिद्धांत में 60% इक्विटी में और 40% फिक्स्ड इनकम इंसट्रूमेंट्स जैसे कि बॉंड्स और डिबेंचर्स में लगाया जाता है।
Summary
आप भी अपने निवेश और संपत्तियों की सुची बना कर देखिये अपनी निवेश सूची को और देखिये उसमें कितना हिस्सा किस प्रकार के निवेश का है। यहां हमने यहाँ समझा निवेश में पोर्टफोलियो का मतलब और महत्व क्या होता है और कैसे निवेशक के लिये इसकी सरंचना कैसी होनी चाहिये।
आगे पढ़िये डाइवर्सिफिकेशन से निवेश के रिस्क को कम करने का तरीका
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